इंग्लैंड की महारानी एलिजावेथ के घरेलू चिकित्सक ने जब काँच के छड़ को रेशम से रगड़ा तो छड़ में छोटे-छोटे चिजों को आकर्षिक करने की क्षमता आ गई जिसे आवेश कहा गया।


इन्होंने काँच के छड़ को धनआवेश माना तथा रेशम पर आवेश को ऋणात्मक माना ।


बेंजामिन फ्रैंकलीन ने आवेश की सफल व्याख्या किया इन्होंने ही + Ve (धनात्मक ), - Ve (ऋणात्मक) की खोज किया। इन्होंने तड़ित चालक का खोज किया जो आसमानी बिजली को अपनी ओर खीच लेता है तड़ित चालक ताँबे का बना होता है।


Note:- बिजली तड़पते समय लगभग 1000 Ampear की धारा उत्पन्न होती है तथा नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO) उत्पन्न होता है।


तड़ित चालक को टावर या ऊँची इमारत पर लगाया जाता है और इसे पृथ्वी से जोड़ दिया जाता है।


पृथ्वी एक बहुत बड़ा आवेश का गोला है यह कितने ही बड़े आवेश को आपने में समाहित कर लेता है।


इंधन या गैस ले जा रही Tanker से एक जंजीर नीचे लटका दी जाती है ताकि वायु के घर्षण से उत्पन्न Electron को पृथ्वी में भेजा जा सके।


सामान आवेशो के बीच प्रतिकर्षण होता है जबकि विपरीत आवेशो के बीच आकर्षण होता है।


आवेश का सबसे बड़ा गुण प्रतिकर्षण होतो है।


स्थिर आवेश केवल विद्युत क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि गतिशील आवेश विद्युत तथा चुम्बकीय दोनों क्षेत्र उत्पन्न करता है। इसी कारण सड़क से गुजर रही बिजली के तार को लकड़ी लगाकर बाँध दिया जाता है। नहीं तो उनमें आकर्षण हो जाएगी।


[q=ne


|q= it


n= Electron


e 1.6 x 10C


आवेश का मात्रक कुलाम होता है।

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